__________ मो सम दीन न दीन हित तुम्ह समान रघुबीर अस बिचारि रघुबंस मनि हरहु बिषम भव भीर __________ हे श्री रघुवीर ! मेरे समान कोई दीन नहीं है और आपके समान कोई दीनों का हित करने वाला नहीं है ऐसा विचार कर हे रघुवंशमणि ! मेरे जन्म-मरण के भयानक दुःख का हरण कर लीजिए #Shri_Ram
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