हमारे समाज में अनेक धर्मगुरु विद्यमान है और वे अपनी-अपनी साधना को सर्वश्रेष्ठ बताते हैं। उनका मानना है की तीर्थ, व्रत, श्राद्ध तर्पण इत्यादि करने से हमें मोक्ष की प्राप्ति होती है। किंतु हम अपने शास्त्रों को देखें तो श्रीमद् भागवत गीता में तीरथ व्रत उपवास को मनमाना आचरण बताया है। यही कारण है कि संत रामपाल जी महाराज अपने अनुयायियों को तीर्थ व्रत उपवास करने से मना करते हैं। आज संत रामपाल जी महाराज जी के शिष्य सत्य साधना करके सर्व सुखों को प्राप्त कर रहे हैं जिसके चलते उनके अनुयायियों की संख्या दिन प्रतिदिन बढ़ती जा रही है । साथ ही धर्मगुरु भी अपने पद को त्याग कर संत रामपाल जी महाराज जी से नाम दीक्षा ले रहे हैं। ऐसे ही एक धर्मगुरु ने हजारों शिष्यों को छोड़कर संत रामपाल जी महाराज जी को अपना गुरु बनाया | आखिर ऐसा क्या कारण बना कि उसने गुरु पद छोड़ दिया? जानने के लिए देखें: youtu.be/esCU2_OjMWY?si…
@SatlokChannel ये संसार समझदा नहीं कहदा, श्याम दूपहरेनू। गरीबदास ये वकत जात है, रोवोगे ईस पहरेनू।।
@SatlokChannel Satguru provides true spiritual knowledge (Tatvagyan). Tatvadarshi Great Saint Rampal Ji Maharaj has untangled spiritual facts from Holy Scriptures. Take refuge in Him.
@SatlokChannel कबीर और ज्ञान सब ज्ञानडी कबीर ज्ञान सौ ज्ञान जैसे गोला तोप का करता चले मैदान
@SatlokChannel #अयोध्यासे_जानेकेबाद_हनुमानको मिले पूर्ण परमात्मा हनुमान जी ने अपनी पूजा करने के लिए कभी नहीं कहा। वो तो खुद एक भक्त थे | यह शास्त्र विधि छोड़ कर मनमाना आचरण है जिससे कोई लाभ नहीं है। youtu.be/P-rN_Viere4?si…
@SatlokChannel पवित्र आत्मा परमार्थी स्वभाव हनुमान जी को परमेश्वर कबीर जी ने अपनी शरण में लिया। परमार्थी आत्मा को संसार तथा काल के स्वामी भले ही परोपकार का फल नहीं देते, परंतु परमेश्वर ऐसी आत्माओं को शरण में अवश्य लेते हैं - संत रामपाल जी महाराज
@SatlokChannel वेदों में प्रमाण है, कबीर साहेब भगवान हैं। पूर्ण परमात्मा कविर्देव चारों युगों में आए हैं। सृष्टी व वेदों की रचना से पूर्व भी अनामी लोक में मानव सदृश कविर्देव नाम से विद्यमान थे। कबीर परमात्मा ने फिर सतलोक की रचना की, बाद में परब्रह्म, ब्रह्म के लोकों व वेदों की रचना की इसलिए वेद