अभिशाप रूपी वाम-विचारधारा से तब भारत ही ग्रस्त नहीं था। चीन में माओ से-तुंग (1949-76) और कंबोडिया में पोल पॉट का शासनकाल (1975-79) भी इसी चिंतन का भयावह परिणाम देख चुका है। वहां भी सामाजिक-आर्थिक अन्याय को समाप्त करने हेतु निजी संपत्ति-स्वामित्व और धन-संपदा को समाप्त कर दिया था। इस प्रकार के कई अव्यवहारिक उपायों से न केवल मानवाधिकारों का भीषण हनन हुआ, अपितु करोड़ों लोगों की मौत तक हो गई। आज चीन जिस प्रकार चमक रहा है, वह इसलिए संभव हुआ है, क्योंकि चीनी सत्ता अधिष्ठान समय को भांपते हुए अपनी विशुद्ध वाम-नीतियों को दशकों पहले तिलांजलि दे चुका है। वर्तमान भारत भी वर्ष 1970-80 के दशक की बीभत्स स्थिति से बाहर निकलकर विश्व की पांचवी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन चुका है और शीघ्र ही तीसरी आर्थिक महाशक्ति भी बनने वाला है। #RahulGandhi
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