अच्छी नहीं है शहर के रस्तों से दोस्ती आँगन में फैल जाए न बाज़ार देखना #निदा_फ़ाज़ली
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@gurubanaarasi शिकवा नहीं गिला नहीं रब्त कोई बहम नहीं रस्म-ए-सलाम क्या जहाँ पुर्सिश-ए-हाल-ए-ग़म नहीं