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#Hot_Off_The_Press #नयीबहार ‘डेड एंड’ - पद्मेश गुप्त ‘डेड एंड’ पद्मेश गुप्त की कहानियों का नवीनतम संग्रह है। मूल्यों के टकराव का सजीव चित्रण है पद्मेश गुप्त के लेखन में। 'तिरस्कार', 'डेड एंड', 'कब तक' मिली-जुली संस्कृति के टकराव को बख़ूबी चिह्नित करती हैं। पद्मेश जी रफ़्तार…
#Hot_Off_The_Press #नयीबहार ‘एक शे'र अर्ज़ किया है : संकलन 200’ 'एक शे'र अर्ज़ किया है' पिछले दो सौ हफ़्तों से, हर हफ़्ते पूरी दुनिया को नियमित रूप से एक उत्कृष्ट साहित्यिक, मनोरंजक और शायरी के ख़ुमार से शराबोर कर देने वाले कार्यक्रम देता रहा है। सौ कार्यक्रम पूरे होने के बाद…
#Hot_Off_The_Press #नयीबहार #वाणीपृथ्वी #विश्ववनदिवस मनुष्य के दिखावों ने मनुष्यता को हरा दिया है वरना जितनी तख़्तियों पर अब तक पेड़ों को बचाने के लिए नारे लिखे गये हैं उतने पौधे लगे होते तो सारा ब्रह्माण्ड हरा हो जाता। -सुधीर आज़ाद ‘किसी मनुष्य का पेड़ हो जाना’ विश्व वन दिवस…
#नयीबहार ‘जलता हुआ रथ’– स्वदेश दीपक इतनी सारी भाषाएँ हैं उसके पास। फिर भी नहीं समझते एक-दूसरे की बात। ताक़त और हथियार सबसे पहले भाषा का ख़ून करते हैं। फिर इन्सान का। @sukantdeepak #Vani61 #VaniKaljayi #JaltaHuaRath #SwadeshDeepak #Play #VaniBooks #VaniAuthor #ReadWithVani…
#Hot_Off_The_Press #नयीबहार ‘काली बर्फ़’ – मीरा कान्त नाटक ‘काली बर्फ़’ अब नाट्य त्रयी कन्धे पर बैठा था शाप के साये से निकलकर अपनी अलग पहचान बना रहा है- यह निस्सन्देह प्रसन्नता का विषय है। इस नाटक के केन्द्र में आतंकवाद से उपजा विस्थापन और उसका दर्द है जो आज विश्व की एक विकराल…
#Hot_Off_The_Press #नयीबहार ‘मेरे चर्चित गीत’ – सूरजपाल चौहान 'सूरजपाल चौहान की कविताएँ बहुत बड़ी कविताएँ हैं। कुछ गीत उन्होंने गाँवों और दलित समुदाय को लेकर लिखे हैं। कवि अपने समुदाय को एड्रेस कर रहा है और क्रिटिकल एड्रेस कर रहा है। वह एक सन्देश देता है।' -प्रो. केदारनाथ…
#Hot_Off_The_Press #नयीबहार स्त्री नहीं मरती ना जीवन की वासना वह उठाती है हर बार खरपात पत्थर, कंकर चुनती है वह शुरू करती है फिर एक काम – सविता सिंह ‘वासना एक नदी का नाम है’ #Vani61 #NewRelease #VasnaEkNadiKaNaamHai #SavitaSingh #Poetry #VaniBooks #VaniAuthor #ReadWithVani…
#Hot_Off_The_Press #नयीबहार ‘आदिकालीन हिन्दी साहित्य अध्ययन की दिशाएँ’ – सम्पादक : अनिल राय डॉ. अनिल राय ने आदिकालीन भाषा और साहित्य पर हुए अध्ययनों में से उसी सामग्री का चयन किया है जो किसी न किसी 'समस्या-क्षेत्र' का उद्घाटन करती है। यह सम्पादित पुस्तक डॉ. राय के परिश्रम और…
#Hot_Off_The_Press #नयीबहार ‘अनहद’ – डॉ. मयंक मुरारी जब व्यक्ति की सारी इच्छाएँ ख़त्म हो जायें, जब व्यक्ति को दुख-सुख में समानुभूति हो, जब व्यक्ति के अन्दर चिन्ता, ज्ञान, वासना रूपी हरेक बन्धन ख़त्म हो जाता है, तब वह आत्मिक रूप से स्वतन्त्र हो जाता है। यह स्वतन्त्रता ही आत्मा…
#Hot_Off_The_Press #नयीबहार ‘हिन्दुत्व का मधु’ - हृदयनारायण दीक्षित 'मधु' वैदिक काल के समाज का सर्वाधिक प्रतिष्ठित आलम्बन है। वैदिक ऋषि सम्पूर्ण विश्व को मधुमय देखना चाहते थे। वे वायु, जल और परस्पर सम्मिलन में भी मधुमयता चाहते थे। वैसे 'मधु' एक पदार्थ है। प्राचीन पूर्वजों के…
#Hot_Off_The_Press #नयीबहार रमणिका रचनावली (सम्पूर्ण 1 से 14 खण्ड तक) (सम्पादक : भारत यायावर) कविताएँ (खण्ड 1 से 3) कथा-साहित्य (खण्ड 4) स्त्री-विमर्श (खण्ड 5) दलित-विमर्श (खण्ड 6) आदिवासी-विमर्श (खण्ड 7) संवाद (खण्ड 8) विविध-विषय (खण्ड 9) सम्पादकीय आलेख (खण्ड 10,11) अनुवाद…
#Hot_Off_The_Press #नयीबहार छोटी सी दुनिया : ज्ञान प्रकाश विवेक कहानी को उसकी मर्यादित वेशभूषा में ही विन्यस्त करने वाले ज्ञानप्रकाश विवेक, उपन्यास की कला में सिद्धहस्त होने के बावजूद, कहानियों के नैरेटिव को निबन्ध या रिपोर्ताज बनाने की चेष्टा नहीं करते। - डॉ. ओम निश्चल…
#Hot_Off_The_Press #नयीबहार अण्णा भाऊ साठे (दलित और स्त्री जगत् के श्रेष्ठ क़लमवीर) : विश्वास पाटील (अनुवाद : सुरेश माहेश्वरी) 'धरती शेष नाग के मस्तक पर न टिकी होकर वह दलितों की हथेली पर टिकी है' अण्णाभाऊ के इस विचार से ही मैं थर्रा गया। इसने मेरी सोच की दुनिया बदल डाली। मेरे…
#Hot_Off_The_Press #नयीबहार साँझक दीप : डॉ. मालती उपाध्याय विगत शताब्दी की सामाजिक व्यवस्था में नारी-प्रतिबन्ध इस कथा-संग्रह का मुख्य केन्द्रबिन्दु है। इस कथा-संग्रह की विषयवस्तु विगत शताब्दी की तरह आज भी ग्रामीण मिथिला में प्रासंगिक है। इसलिए लेखिका के जीवन के सात दशक के लेखन…
#Hot_Off_The_Press #नयीबहार माटी राग : हरियश राय तमाम योजनाओं और आर्थिक सहायता मुहैया करने के बावजूद, छोटे किसानों का जीवन अभी भी ख़ुशहाली से दूर है। अन्नदाता कहकर किसानों का सम्मान ज़रूर किया गया लेकिन उनके सामने आ रही रोज़-ब-रोज़ की समस्याओं का कोई बुनियादी हल नहीं निकल सका।…
#Hot_Off_The_Press #नयीबहार दीवाने मोमिन (चयन व सम्पादन : बृजेश अंबर) तुम मिरे पास होते हो गोया जब कोई दूसरा नहीं होता को सुनकर ग़ालिब ने कहा था काश मोमिन ख़ांँ मेरा सारा दीवान ले लेता और सिर्फ़ यह शेर मुझको दे देता। - 'दीवाने मोमिन' से अधिक जानकारी के लिए हमें व्हाट्सअप…
#Hot_Off_The_Press #नयीबहार खौलता पंजाब : बलदेव सिंह धालीवाल पंजाब कृषि प्रधान क्षेत्र है। यहाँ बहु-संख्यक लोग कृषि के काम-धन्धों से जुड़ें हैं। कृषि के आधुनिकीकरण (हरे इंक़लाब) के कारण मुश्किलें-समस्याएँ भी उत्पन्न होती हैं। इन समस्याओं के बारे में वही आदमी जागरूक रह सकता है…
#Hot_Off_The_Press #नयीबहार 'कुछ रंग थे ख़्वाबों के : नासिरा शर्मा जहाँ सत्ता और शासन के लिए जंग को अनिवार्य समझा जाता है, मनुष्यों की मुक्ति टूटे पंख की तरह बिखर के रह जाती है और सपनों के रिश्ते बारूद से सनी मिट्टी में दफ़्न हो जाते हैं। - उपन्यास 'कुछ रंग थे ख़्वाबों के'…
#Hot_Off_The_Press #नयीबहार इतिहास में अफवाह : शंभुनाथ साहित्य किसी युग में सत्ता के पीछे नहीं चला है। ज्ञान की दुनिया में यह उसकी विशिष्टता है। वस्तुत: साहित्यिक श्रेष्ठता और बौद्धिक स्वतन्त्रता के बीच गहरा सम्बन्ध है। - पुस्तक 'इतिहास में अफवाह' से अधिक जानकारी के लिए हमें…
#Hot_Off_The_Press #नयीबहार उधार की ज़िन्दगी : जयप्रकाश कर्दम गाँवों में सामन्ती ढाँचा भले ढह गया हो लेकिन सोच अभी शेष है, इसलिए जाति-भेद अपनी जगह खाड़ है। तभी तो दलित सवर्णों की तरह पर्व-त्योहार में ख़ुशियाँ मनाने या शादी-ब्याह में घोड़ी पर बारात निकालने की सोचें तो हज़ार…