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निष्काम कर्म से तीनो शरीरों (स्थूल,सूक्ष्म और कारण) मे बंधते नही (#विदेह) ब्राम्ही स्थिति (शांती) को प्राप्त होता है। आकांक्षा कर्म से #आत्मा शरीर छोडने के बाद सूक्ष्म शरीर मे छन्दित (आवरित) रहता है। नये शरीर बंधन का कारण बनता है।
@ShashibalaRai12 @AhamVayam @amarlal71 @PREM1176 @SahayRk483098 @Govindmisr @SathyavathiGuj1 @AnnapurnaUpad13 @NandiniDurgesh5 @AniketK45060182 @ADVRAMESH1 जहां तक संतों के मुख से सुना है दीदी जी यह तुलसीदास जी ही थे संतों के अनुसार जब गोस्वामीजी इसे लिख रहे थे तब वे इतने प्रेममय हो गए कि #विदेह की स्थिति में आ गए थे। अतः उन्होंने चौपाई में #अलखितगति लिखा अर्थात यह एक मानसिक मिलन था और तब उनकी दशा ऐसी थी कि उनमें लिखने की शक्ति
• इसी तरह राजा जनक के शहर #विदेह का नाम मुजफ्फर नाम के मुस्लिम शासक ने बदलकर #मुजफ्फरपुर कर दिया। • इसी तरह #अजातशत्रुनगर का नाम बेगू नामक एक शासक ने #बेगूसराय कर दिया। • इसी तरह #कर्णावती को मुहम्मद शाह ने #अहमदाबाद नाम दिया।
बिहार के राजनीति का #विदेह नाम से प्रसिद्ध बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री #भोला_पासवान_शास्त्री जी की पुण्यतिथि पर कोटि-कोटि नमन।
होइ न बिषय बिराग, भवन बसत भा चौथपन हृदय बहुत दुःख लाग जनम गयउ हरि भगति बिनु। #विदेह का अर्थ है जो देहाध्यास से ऊपर उठ गया है। जोग भोग महँ राखेहु गोई. राम कृपा बिनु सुलभ न सोई। #Rushivarji #अष्टावक्रगीता
@Sabhapa30724463 महाराज दशरथ धर्म #संस्थापक थे महाराज जनक #धर्मप्रसारक जनक माया मोह से विरक्त होने के कारण ही #विदेह हुए हैं।कुछ प्रसंगों और दृष्टांतों में कहां गया है कि उनकी सभा में देवर्षि नारद और शुकदेव जी भी अपनेआशीर्वचनों से सभी को कृतार्थ करते थे। यह बात आपके प्रश्न से हटकर है क्षमा करें