ट्राफिक पर...मन्दिर मस्जिद के बाहर झोला फैलाए खड़ी गरीबी खलती है सब को I पर equality का खयाल तो उससे भी डरावना है I गेट पर पहुंचते ही सलाम ठोकने वाले..साब कुछ दे दो अहसान होगा बोलने वाले..आप बहुत दिलदार हैं मदद करते हैं बोलने वाले नहीं रहे तो क्या ही फायदा इतनी दौलत का
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आखिर हमारी कहानियों से वो हामिद क्यों गायब हो जिसे खिलौने और मिठाइयाँ छोड़ कर चिमटा खरीदना पड़े I दिन bhar थक हार कर महंगा petrol और gas खरीद कर जब हम रात को घर पहुंचे तो सोने से पहले हमारी कहानियो में अमीना चिमटे के लिए मोहताज होनी चाहिए ताकि हम खुदको बेहतर मेहसूस कर सके